तना – बाह्य आकारिकी, प्रकार एवं रूपांतरण (Stem – Morphology, Types , Modifications)

Hello Biology Lovers, आज के हमारे ब्लॉग का शीर्षक है – तना – बाह्य आकारिकी, प्रकार एवं रूपांतरण (Stem – Morphology, Types , Modifications)

पादप के वे वायविय भाग (Aerial Part) जो बीज के अंकुरण (Seed germination) के समय भ्रूण (Embryo) के प्रांकुर (Plumule)   से विकसित होते हैं , प्ररोह कहलाते (Shoot) हैं। प्ररोह में तना (Stem), शाखाएं (Branches)  तथा पत्तियां (leaves) शामिल है।


तने के सामान्य लक्षण  (Characteristics of Stem)


  • तना धनात्मक प्रकाशानुवर्तन (Positive phototropic), ऋणात्मक जलानुवर्तन (Negative hydrotropic0 तथा ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्तन (Negative geotropic) वृद्धि करता है।
  • तरुण तने में पर्णहरित (Chlorophyll) पाया जाता है। लेकिन काष्ठीय तनें (Woody stem) में यह अनुपस्थित होता है।
  • तने पर उपस्थित गाठों को पर्व संधियाँ (Nodes) कहते हैं। तथा उनके बीच में पाए जाने वाले भाग को पर्व (Internodes) कहते हैं।
  • पर्व संधियाँ से विभिन्न प्रकार के उपांग (organs) निकलते हैं। जैसे शाखाएं पत्तियां आदि इनकी उत्पत्ति बहिर्जात (Exogenous) रूप से होती है।
  • पत्तियों का स्तंभ के साथ बनने वाला कोण पर्णकक्ष (leaf axil) कहलाता है। इस कक्ष में कक्षस्थ कलिका (terminal bud) पाई जाती है।
  • कक्षस्थ कलिका वृद्धि करके शाखा (branch) बनाती है। जिसके शीर्ष पर शीर्षस्थ कलिका (Apical bud) पाई जाती है।

तने की आकृति (Shape of stem)


अलग-अलग पादपों में तने की आकृति अलग-अलग प्रकार की होती है। जैसे –
बेलनाकार (Cylindrical) – लगभग सभी पादपों में
खांचेदार (Ribbed) – केजुराएना में (Casuarina)
चपटा (Flat) – नागफनी (Opuntia) में
संधीत (jointed) – गन्ना (Sugarcane), बांस (Bamboo) में

त्रिकोणीय (Triangular) – साइप्रस (Cyprus) में
चतुष्कोणीय (Quadrangular) – तुलसी (Ocimum or Basil) में


तने के विभिन्न स्वरूप (Form of Stem)


तने स्वरूप के आधार पर दो प्रकार के होते हैं।-

उर्ध्व तना (Erect Stem)

दुर्बल तना (Weak Stem)


उर्ध्व तना (Erect Stem)


इस प्रकार का तना मजबूत तथा कठोर होता जो भूमि पर सीधा खड़ा रहता है। यह दो प्रकार का होता है –

शाकीय तना (Herbs)

काष्ठीय तना (Woody Stem)


शाकीय तना  ( Herbs)


इस प्रकार का तना हरा, कोमल, तथा काष्ठ विहीन (Woodless) होता है। जैसे एकवर्षी (Annual) पादप गेहूं में, द्विवर्षीय (biennual) पादप चकुंदर में, बहुवर्षी (Perennual) पादप केली (Canna lily) में शाकीय तना पाया जाता है।


काष्ठीय तना (Woody Stem)


ऐसा तना लंबा कठोर, मजबूत तथा काष्ठ युक्त होता है। यह दो प्रकार का होता है। –

झाड़ी (Shrub)

वृक्ष (Trees)


झाड़ी (Shrub)


इन पादपों में वृक्षों से भिन्न मुख्य तने के स्थान पर भूमि के ऊपर कई काष्ठीय शाखाएं एक साथ निकली हुई होती  है।  इनको क्षुप भी कहा जाता है। जैसे खींप (Leptadenia), कैर (Capparis), आक (Calotropis) गुलाब  आदि।


वृक्ष (Tree)


इनमें तना मोटा व  काष्ठीय होता है।  इनमें केवल एक ही मुख्य तना पाया जाता है। जिससे शाखाएं निकली रहती है। यह चार प्रकार का होता है।

बहिर्वेधि  (Excurrent)

पुच्छी  (Caudex)

लीनाक्ष (Deliquescent)

संधित (Culm)

 


बहिर्वेधि(Excurrent)


इनमें तना शाखाओं युक्त होता है। जो नीचे की ओर चौड़ी और ऊपर की ओर संकरी होती है। जिससे वृक्ष की आकृति शंकु नुमा होती है। जैसे चीड़ (Pinus palustris) आशफला या अशोक (Polyathia longifera) । इसको आचूडाक्ष तना भी कहते है।

 


पुच्छी (Caudex)


इनमें तना शाखा रहित होता है। और तने के शीर्ष पर पत्तियां मुकुट के समान पाई जाती है। जैसे खजूर (Phoenix dactylifera) नारियल (Cocos nucifera) आदि।

 


लीनाक्ष (Deliquescent)


इनमें तना शाखा युक्त होता है। और शाखाएं चारों ओर फैल कर विभिन्न दिशाओं में वृद्धि करती  है। इनमें शीर्षस्थ कलिका की अपेक्षा पार्श्व कलिकाएं अधिक सक्रिय होती है। उदाहरण बरगद (Ficus bengalensis), नीम (Azadirachta indica)तथा पीपल (Ficus religiosa)


संधित (Culm)


इनमें तना अशाखित लम्बा तथा गांठदार होता है। जिनमें पर्व लम्बे खोखले तथा मजबूत होते है। जैसे बांस (Bembusa arundinacea)


दुर्बल तना  (Weak Stem)


दुर्बल तने भूमि पर सीधे खड़े नहीं रह सकते अतः यह भूमि पर गिरे हुए या अन्य किसी सहारे के  ऊपर चढ़ते हैं। यह दुर्बल लंबे तथा पतले होते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं –

विसर्पी (Creepers)

तलसर्पी (Trailing)


विसर्पी (Creepers)


यह भूमि पर रेंगते हुए वृद्धि करते हैं। इनकी  पर्वसंधियों (Nodes) से अपस्थानिक जड़े (Adventitious Roots), पत्तियां तथा शाखाएं निकलती है। जो अपने मूल पादप से पृथक होकर एक अलग नए पादप का निर्माण कर लेती है। उदाहरण दूबघास (Cynodon dactylon) ब्राह्मी बूंटी (Cenetella)। ये तीन प्रकार के होते है –

उपरिभूस्तारी (Runner)

भूस्तारी (Stolon)

भूस्तारिका (Offset)

अन्तःभूस्तारी (Sucker)


तलसर्पी (Trailing)


ये तने भूमि पर रेंगते हुए क्षैतिज वृद्धि (Horizontal growth) करते है। परन्तु इनकी  पर्वसंधियों (Nodes) से अपस्थानिक जड़े नहीं निकलती है। ये तीन प्रकार के होते है –

 


उर्ध्वशीर्षी (Decumbent)


इस प्रकार का तना वृद्धि करने के बाद तने का शीर्ष बिना किसी सहारे के ऊपर की ओर उठ जाता है। जैसे पोर्चुलाका (Portulaca grandiflora)


शयान (Prostrate)


इन पादपों के तने भूमि पर लेटे ही वृद्धि करते हैं। इनका शीर्ष ऊपर की ओर नहीं उठ पाता है। उदाहरण शंखपुष्पी  (Convolvulus pluricaulis)।


आरोही (Climber)


इस प्रकार के तने किसी सहारे के द्वारा ऊपर की ओर चढ़ते हैं। यह निम्न प्रकार के होते हैं। –


प्रतान आरोही (Tendril Climber)

तने की पर्वसंधियों (Nodes) से सर्पिलाकार, कोमल, तथा तेजी से वृद्धि करने वाली संरचना निकलती है। इनको प्रतान कहते है। ये किसी आधार के संपर्क में आते ही उससे लिपट कर पादप के आरोहण (Climbing Up) में सहायता करती है। ये पत्ती या उसको विभिन्न भागों का रूपांतरण होती है। जैसे

स्माइलेक्स (Smilex) में अनुपर्ण का, ग्लोरीओसा (Gloriosa superba) में पर्णशीर्ष का, क्लीमेटिस (Clematis) में पर्णवृन्त का, मटर (Pea) में पर्णफलक का, लेथाइरस (Lathyrus aphaca) में सम्पूर्ण पर्ण का रूपांतरण होती है।


स्तंभ आरोही (Stem Climber)

पादप के कई स्तंभ परस्पर लिपटकर आरोहण (Climbing Up) करते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं –

वल्लरिया (Twiners)

इनमें तना शाकीय होता है। जैसे सेम (Dolichos lablab), आईपोमिया (Ipomea palmate  or railway creeper) आदि।

कठलताएं (Lianas)

इतना मोटा काष्ठीय व कठोर होता है। उदाहरण गिलोय (Tinospora) बोगनविलिया (Bougainvillea glabra)।

 


मूल आरोही (Root Climber)

पान (Betel vine, Piper betel) में अपस्थानिक मूल धागे जैसी संरचना बनाकर आरोहण (Climbing Up) में सहायता करती है।


अंकुश आरोही या कंटक आरोही (Hook and thorn Climber)

पादप के किसी भाग से अंकुश या कंटक निकलकर आरोहण (Climbing Up) में सहायता करती है। तीक्ष्ण वर्ध (Prickle), शूल (Spine) कंटक (Thorn) प्राय सीधे नुकीले होते हैं। जबकि अंकुश (Hook) आगे से मुड़ी हुई होती है। उदाहरण नागफनी (Opuntia humifusa), गुलाब (Rose), बेर (Ziziphus mauritiana), बिगनोनिया (Bignonia capreolata) में क्रमशः तीक्ष्ण वर्ध, शूल, कंटक तथा अंकुश पाए जाते हैं।


आसंजी आरोही (Adhesive Climber)

आसंजी आरोही पादपों के तने पर चिपकने वाली डिस्क (Adhesive Disc)  पाई जाती है। जिसकी सहायता से यह आधार पर चिपक कर आरोहण (Climbing Up) करते हैं। उदाहरण फाइकस रेपेन्स (Ficus repens)।


तने के रूपांतरण  (Modifications of Stem)


कुछ विशिष्ट कार्य करने के लिए तने में रूपांतरण पाया जाता है। इनमें वायवीय (Aerial), अर्ध वायवीय (Sub-aerial) तथा भूमिगत (Underground) तीन प्रकार के रूपांतरण होते हैं।


तने के वायवीय रूपांतरण (Aerial Modifications of Stem)


कुछ पादपों में वायवीय स्तंभ विशिष्ट कार्य करने के लिए रूपांतरित होते हैं। यह निम्न प्रकार के होते हैं।

स्तंभ प्रतान (Stem Tendril)

इनमें कक्षस्थ कलिका या शीर्षस्थ कलिका के स्थान पर कुंडली तंतु पाया जाता है। जो आरोहण (Climbing Up) करता है। उदाहरण अंगूर (Grape vine , Vitis vinifera) ।

स्तंभ शूल (Stem thorn)

यह कक्षस्थ कलिका का रूपांतरण होता है। यह काष्ठीय सीधा तथा नुकीला होता है। उदाहरण नींबू (Citrus) बोगनवेलिया (Bougainvillaea) । स्तंभ शूल सुरक्षा का कार्य करता है।

पर्णाभ स्तंभ (Phylloclade)

तने मांसल या हरे होकर चपटे पत्ती जैसी संरचना बना लेते हैं। जो प्रकाश संश्लेषण करता है। उदाहरण नागफनी (Opuntia)। इनमें पर्व (Internodes) व पर्वसंधियों (Nodes) उपस्थित होती हैं।

पर्णाभ पर्व (Cladode)

एक पर्व वाला पर्णाभ स्तंभ पर्णाभ पर्व कहलाता है।  यह पराया चपटा, हरा व प्रकाशसंश्लेषी होता है। उदाहरण शतावर (Asparagus) तथा रसकस (Ruscus aculeatus)।

पत्रकलिका (Bulbil)

कायिक या पुष्प कलिका भोजन का संग्रह करके फूल जाती है। और पृथक हो कर नए पादप का निर्माण करती है। उदाहरण अगैव (Agave) तथा रतालू (Yam)।


तने के अर्ध वायवीय रूपांतरण (Sub-aerial Modifications of Stem)


इनमें तने की शाखाएं भूमि की सतह के ऊपर अथवा नीचे समानांतर रुप से वृद्धि करती है। यह चार प्रकार की होती है।

उपरिभुस्तारी (Runner)

तना भूमि पर रेंगते हुए वृद्धि करता है। तने की पर्वसंधियों (Nodes) पर अपस्थानिक जड़े और पत्तिया पाई जाती है। पर्व पृथक हो कर नए पादप का निर्माण करता है। उदाहरण दूब घास।

भुस्तारी (Stolon)

मुख्य तने के आधार से पार्श्व शाखाएं निकलकर कुछ दूर वायवीय भाग में वृद्धि करने के पश्चात भूमि के अंदर चली जाती है। और नए पादप का निर्माण कर लेती है। उदाहरण स्ट्रोबेरी।

अन्तः भुस्तारी (Sucker)

मुख्य तने के आधारीय भाग से पार्श्व शाखाएं निकलकर भूमि में चली जाती है। और पुनः वायवीय होकर पर्वसंधि से अपस्थानिक जड़े निकलकर नये पादप  का निर्माण करती है। उदाहरण पुदीना तथा गुलदाउदी (Chrysanthemum)।

भुस्तारिका (Offset)

यह सामान्य जलीय पौधों में पाया जाता है। तना जल में रेंगते हुए वृद्धि करता है। यह उपरिभुस्तारी जैसी होती है। इनमें शाखाएं छोटी, मोटी तथा एक पर्व वाली होती है। उदाहरण जलकुंभी (Water hyacinth) तथा पिस्टिया (Pistia)।


तने के भूमिगत रूपांतरण (Underground Modifications of Stem)


तने के भूमिगत भाग भोजन संग्रह, कायिक प्रजनन आदि के लिए रुपांतरित होते हैं।

पर्व, पर्वसंधिया, कलिकाएं आदि पाए जाने के कारण इनको तना कहा जाता है। यह निम्न प्रकार के होते हैं।

प्रकंद (Rhizome)

यह मोटा, गूदेदार तथा अनियमित आकार का होता है। यह भूमि में क्षैतिज वृद्धि करता है। इसकी पर्वसंधियों (Nodes) पर अपस्थानिक जड़े निकलकर नए पादप का निर्माण करती है। उदाहरण अदरक (Zingiber officinale) तथा हल्दी (Curcuma longa) आदि।

कंद (Tuber)

भूमिगत तने की शाखाएं अनियमित वृद्धि करके इनके अंतिम सिरे भोजन संग्रह करके फूल जाते हैं। और कंद का निर्माण करते हैं। कंद पर कई कलिकाएं पाई जाती है। जिनको आंख कहते हैं। उदाहरण आलू (Solanum tuberosum)।

घनकंद (Corn)

इनमें मुख्य तना ऊर्ध्वाधर वृद्धि करता है। और भोजन का संग्रह करके फूल जाता है। जैसे जमीकंद (Amorphophallus paeoniifolius or elephant foot yam), अरबी (Colocasia esculenta or taro), केसर (Saffron or Crocus sativus) आदि ।

शल्क कंद (Bulb)

मुख्यतः अत्यंत छोटा डिस्कनुमा छोटा होता है। इन पर शल्की पर्ण पाए जाते हैं। इनके निचले भाग से अपस्थानिक जड़े निकलती  है। उदाहरण प्याज (Onion or Allium cepa), लहसुन (Garlic or Allium sativum) आदि।
प्याज के बल्ब को कुंचित शल्ककंद (Tunicated bulb) जबकि लहसुन के कंद को शल्की शल्ककंद (Scaly bulb) कहा जाता है।

मूल/ जड़- बाह्य आकारिकी, रूपांतरण तथा कार्य मूल तंत्र (Root Morphology)


तने के कार्य (Function of Stem)


  • तना शाखाओं पतियों फूलों फलों आदि को धारण करता है।
  • यह जल खनिज लवण खाद्य पदार्थ आदि का संवहन (Transportation ) करता है।
  • यह भोजन संग्रहण, प्रजनन, आरोहण (Climbing Up) तथा सुरक्षा का कार्य करता है।
  • तने में पादप वृद्धि नियामकों (Plant growth regulators or Plant hormones) का संश्लेषण भी होता है।

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