सरल ऊतक (Simple Tissue) एवं उनके विभिन्न प्रकार (

Hey Biology Lovers, आज के हमारे ब्लॉग का शीर्षक है- सरल ऊतक (Simple Tissue) एवं उनके विभिन्न प्रकार।

सरल ऊतक एक स्थायी उत्तक है । सरल ऊतकों को समांगी ऊतक (Homogenous Tissue) भी कहा जाता है। ये संरचनात्मक व कार्यात्मक रूप से समान कोशिकाओं का एक समूह होता हैं।

आये अब हम सरल ऊतक (Simple Tissue) एवं उनके विभिन्न प्रकार के बारे में ओर जानकारी प्राप्त करते है

इन्हें तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है:

(ए) मृदूतक (Parenchyma)

(बी) स्थुलकोणोतक (Collenchyma)

(सी) दृढ़ोतक (Sclerenchyma)

 

(ए)- मृदूतक (Parenchyma)

(Para= Soft नरम, Enchyma = Tissue ऊत्तक)

ये समान व्यास वाली (Isodiametric)  जीवित कोशिकाओं से बना है जो अंडाकार या गोल हो सकती हैं। कोशिकाओं के बीच रिक्त स्थान पाया जाता है। इनकी कोशिका भित्ति पतली और हेमिसेलूलोज और सेल्युलोज से बनी होती है।

इनकी कोशिकाओं में रिक्तिका (Vacuole) पायी जाती है और केन्द्रक का आकार छोटा होता है। कोशिकाओं में सघन और जीवित प्रोटोप्लाज्म होता है।

ये विभज्योतक से विभेदित होने वाला प्रथम उत्तक है। इनकी कोशिकाएँ मेरिस्टेमेटिक गतिविधि दिखा सकती हैं इसलिए इन्हें संभावित मेरिस्टेमेटिक ऊतक (Potential Meristematic Tissue) भी कहा जाता है। यह वल्कुट (Cortex), मज्जा (Pith),  पर्णमध्योतक (Mesophyll), और भ्रुणपोष (Endopserm) में पाया जाता है, और यह जायलम में जायलम मृदूतक और फ्लोएम में फ्लोएम मृदूतक से के रूप में होता है।

विशिष्ट कार्य के अनुसार, मृदूतक या पैरेन्काइमा को चार समूहों में वर्गीकृत किया गया है:

  1. वायुतक (Aerenchyma):

यह बड़े रिक्त स्थान वाली कोशिकाओं का बना होता इन रिक्त स्थानों में वायु भरी होती है। यह जलीय पादपो में पाया जाता है, और यह पादपो को उत्पलावकता (Buoyancy)  प्रदान करता है।

  1. हरितऊत्तक (Chlorenchyma):

इस प्रकार के मृदूतक में क्लोरोप्लास्ट की मात्रा अधिक होती है। यह पत्तियों के पर्णमध्योतक  mesophyll  में पाया जाता है और प्रकाश संश्लेषण में मदद करता है। पृष्ठाधारी पत्तियों में ये दो प्रकार का होता है –

        (A) खम्भ ऊतक (Palisade Tissue) –

यह पत्ती में ऊपरी बाह्यत्वचा (Epidermis) के नीचे पाया जाता है। इनमें अन्तरकोशिकीय अवकाश अनुपस्थित होता है।

         (B) स्पंजी ऊतक (Spongy Tissue) –

यह पत्ती की निचली बाह्यत्वचा (Epidermis) के पास पाया जाता है। इनमें अन्तरकोशिकीय अवकाश (Intercellular Space) अधिक होते है जो वाष्पोत्सर्जन तथा गैस विनिमय को बढ़ाते है।

  1. छड़-मृदूतक / दीर्घोत्तक (Prosenchyma):

इस मृदूतक की कोशिकाएँ लंबी, दोनों सिरों पर नुकीली तथा अन्तरकोशिकीय अवकाश (Intercellular Space) विहीन होती है। यह जड़ो के परिरंभ को बनाता है। यह यांत्रिक सहारा प्रदान करता है।

  1. इडीयोब्लास्ट (Idioblast):

वह मृदूतक जो अवांछित या क्षीण पदार्थ जैसे टेनिन, तेल, कैल्शियम ऑक्सेलेट के रवे आदि को संग्रहीत करता है, इन्हें इडीयोब्लास्ट कहा जाता है। ये जलकुम्भी (Water Hyacinth) के पर्णवृंत में पायी जाती है

  1. श्लेष्म मृदूतक (Parenchyma):

इसमें बड़ी रिक्तिका एवं श्लेष्मा पाया जाता है। ये मांसल मरूद्भिद  पादपो (Xerophyte)  में पाए जाते है। जैसे- एलॉय

मृदूतक का कार्य:

  1. मृदूतक मुख्य कार्य भोजन का संचय करना है।
  2. पैरेन्काइमा पादपो में घाव भरने का कार्य करता है।
  3. ऐरेन्काइमा उत्प्लावन (Buoyancy) प्रदान करता है।
  4. दीर्घोत्तक मैकेनिकल सपोर्ट / यांत्रिक सहारा देती है।
  5. क्लोरेन्काइमा प्रकाश संश्लेषण का कार्य करती है।
  6. इडियोब्लास्ट एरगेस्टिक (Ergastic) पदार्थों के संचय में मदद करती है।

सरल ऊतक (Simple Tissue) एवं उनके विभिन्न प्रकार

 

(बी) – स्थुलकोणोतक (Collenchyma):

(Colla = Give, Enchyma = Tissue)

Collenchyma शब्द Schlieden द्वारा दिया गया इनकी कोशिकाएँ लंबी कोशिका भित्ति मोटी तथा सेल्युलोज और पेक्टिन की बनी होती है। पेक्टिन की उपस्थिति के कारण ये जल विरागी (Hydrophobic) होते है।

इनकी कोशिकाओं में द्वितीयक कोशिका भित्ति के निर्माण तथा उनके कोनों में पेक्टिन के जमाव के कारण ये कठोर और मोटी हो जाती है। यह द्विबीजपत्री पादपो के अधस्त्वचा / हाइपोडर्मिस (Hypodermis) और पत्तियों के संवहन बंडल (Vascular Bundle) के ऊपरी और निचले हिस्से में पाया जाता है।

कोशिका भित्ति पर निक्षेपण के आधार पर स्थुलकोणोतक को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है –

  1. कोणीय स्थुलकोणोतक (Angular Collenchyma):

यह सबसे आम प्रकार के स्थुलकोणोतक है, जिनमें कोशिकाओं के कोनों पर निक्षेपण पाया जाता है, अर्थात निक्षेपण केवल कोणों पर ही होता है, और शेष कोशिका भित्ति पतली होती हैं। उदाहरण – टमाटर, धतूरा के तने।

  1. स्तरित/ पट्टिल स्थुलकोणोतक (Lamellar / Plate Collenchyma)

कोशिका भित्ति पर जमाव या निक्षेपण स्पर्श रेखा भित्तीयों पर होता है, जिसके कारण कोशिकाएँ स्तरित या पट्टिकाओं जैसी दिखाई देती है।  उदाहरण – मूली, सूर्यमुखी के तने।

  1. रिक्तिकामय स्थुलकोणोतक (Lacunar Collenchyma):

इस ऊतक की कोशिकाओं के बीच अन्तरकोशिकीय अवकाश अधिक होते है। सेल्युलोज तथा पेक्टिन का जमाव अन्तरकोशिकीय अवकाश की भित्तियों पर होता हैं। उदाहरण – साल्विया, कुकुरबीटा के तने एवं मोन्सटेरा की वायवीय मूल में।

कार्य:

  1. ये तनो को लचीलापन प्रदान करते है।
  2. ये पादपो के युवा और बढ़ते अंगों को यांत्रिक सहारा प्रदान करते है।
  3. यह प्रकाश संश्लेषण में मदद करता है।

सरल ऊतक (Simple Tissue) एवं उनके विभिन्न प्रकार

(सी)- दृढ़ोतक (Sclerenchyma):

(Secros = Hard, कठोर; Enchyma = Tissue, ऊतक)

Sclerenchyma शब्द Mettenius द्वारा दिया गया था ये कठोर और मृत ऊतक हैं। लिग्निन के जमाव के कारण कोशिका भित्ति बहुत मोटी होती है। ये विभिन्न आकार और आमाप की होती हैं।

दृढ़ोतक के कार्य (Functions of Sclerenchyma) :-

ये यांत्रिक सहारा प्रदान करता है।

ये पादप शरीर को कठोरता प्रदान करता है।

दृढ़ोतक का वर्गीकरण (Classification of Sclerenchyma):

यह दो प्रकार का होता है:

  • फाइबर/ तंतु (Sclerenchyma Fibres)
  • स्केलेरेड्स (Sclereids)
  1. फाइबर:

ये टेपरिंग (Tapering) या नुकीले सिरों वाली लम्बी कोशिकाओं से बने होते हैं। यह पादपो में सबसे लम्बी कोशिका है जैसे Bohemia में फाइबर या तंतु की लंबाई 55 सेमी तक होती है। इनकी कोशिका भित्ति में सरल (Simple) तथा परिवेशित गर्त (Bordered Pits) पाए जाते है।

परिपक्वता पर इनकी कोशिकाओं का प्रोटोप्लाज्म नष्ट हो जाता है, और ये कोशिकाएँ मृत हो जाता है। इनकी कोशिका भित्ति में लिग्निन का जमाव पाया जाता है। जिसके कारण इनमें संकरी अवकाशिका या ल्यूमेन पायी जाती है।

संरचना के अनुसार, फाइबर/तंतु दो प्रकार के होते हैं:

 

  1. फ्लोएम फाइबर/ तंतु (Libriform Fibres) – इनमें अवकाशिका संकरी तथा गर्त सरल होते है। ये फ्लोएम में पाए जाते है।
  2. तंतुमय वाहिनिका (Fibre Tracheid) – इनमें अवकाशिका चौड़ी तथा परिवेशित गर्त होते है। ये जायलम में पाए जाते है।

 

स्थिति के आधार पर तंतु तीन प्रकार के होते है –

  • पृष्ठीय रेशे (Surface Fibres) – कपास के रेशे, नारियल के रेशे।
  • काष्ठीय रेशे (Wood Fibres) – मूंज के रेशे।
  • बास्ट रेशे (Bast Fibres) – पटुआ, जूट, हैम्प, फलैक्स के रेशे।

 

 

  1. स्केलेरीड या कंठक कोशिकाएँ (Sclereids):

ये छोटी समव्यासीय (Isodiametric ) संकीर्ण अवकाशिका वाली तथा अधिक लिग्निन युक्त होती है। इनमें गर्त अधिक संख्या में पाये जाते है।

विभिन्न आकार और आकृति के अनुसार इसे पांच समूहों में वर्गीकृत किया गया है:

  • ब्रैकी स्केलेरीड / ग्रिट कोशिका (Brachy-Sclereids Grit Cell):

यह छोटी, अंडाकार या गोल होती है। ये अष्ठिल फलो की अन्त: फल भित्ति में पायी जाती है। जिनके कारण अष्ठिल फलो की अन्त: फल भित्ति कठोर होती है। इनको दृढ़ कोशिका भी कहते है। Also known as stone cells

 

  • छड़ कोशिका/ मैलपिघी कोशिका/ दीर्घ स्केलेरीड (Rod Cell / Malpighi Cells / Macro-Sclereids):

यह छड़ाकार कोशिकाएँ है। ये बीजावरण में पायी जाती है। उदाहरण – फाबेसी कूल।

  • ट्राइकोस्कलेरीड / ट्राइकोब्लास्ट (Trichosclereids):

इनकी कोशिकाएँ बाल की तरह होती है, इन्हें आंतरिक रोम (Internal Hairs) भी कहते है। यह एपिडर्मिस में पाया जाता है। एस्ट्रो व ट्राइकोस्कलेरीड प्लावी पत्तियों में पाया जाता है।

  • एस्ट्रोस्लेकरीड / ताराकाय दृढ़ोतक (Astrosclereids):

इनमें ताराकार आकृति वाली कोशिकाएँ होती है। ये जलोद्भिद पादपो की प्लावी पत्तियों में पाया जाता है।

  • ओस्टिओस्कलेरीड /प्रोप कोशिका (Osteosclereids):

ये खम्भे (Pillar) के आकार की कोशिकाओं से बना होता है। जिसके दोनों सिरे फैलकर अस्थि (Bone) यानी हड्डी के समान संरचना बना लेते है। यह Hakea तथा Osmanthus की पत्तियों में पाया जाता है।


सरल ऊतक (Simple Tissue) एवं उनके विभिन्न प्रकार


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3 Comments
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  1. Very good you kuch aasi hi baato ke bare mai batana jasai ki s s t math

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